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अरविंदर के घर उत्सव जैसा माहौल

Updated on: Wed, 13 Feb 2013 08:13 AM (IST)

अरविंदर के घर उत्सव जैसा माहौल

प्रदीप लूथरा, बटाला
गाव गोखूवाल निवासी बलराज सिंह के घर मंगलवार को उत्सव जैसा माहौल था। उसका छोटा बेटा अरविंदर सिंह चार साल बाद दुबई से रिहा होकर घर वापस आ रहा था, जिस कारण उसके रिश्तेदार तथा गाववासी उसे बधाई देने आए हुए थे। बलराज सिंह का बेटा उन 17 भारतीयों में से एक है जोकि यूएई में पाकिस्तानी नागरिक मिशरी खा की हत्या तथा उसके भाई शाहिद इकबाल को चोटे लगाने के आरोप में पिछले चार साल से दुबई की जेल में बंद था।
अरविंदर सिंह के पिता बलराज सिंह ने बताया कि उनका परिवार ओबराय का हमेशा धन्यवादी रहेगा जिसने उनके बेटे के साथ अन्य भारतीय युवकों की ब्लड मनी खुद अदा की है। उन्हे उम्मीद थी कि उनका बेटा अरविंदर सिंह अपने देश सकुशल लौटेगा। 25 वर्षीय अरविंदर अभी तक अविवाहित है। अरविंदर सिंह की मा गुरमीत कौर ने बताया कि छोटा लड़का अरविंदर सिंह भी रोटी रोजी कमाने के लिए 2007 में दुबई गया था और उसे 2008 में मिशरी खा की हत्या में जानबूझ कर फंसाया गया। जब अरविंदर सिंह को पकड़ा गया था तो उस समय वह छुट्टी पर भारत आ रहा था। उसे वहां की पुलिस ने दुबई एयरपोर्ट पर पकड़ लिया था, जबकि उसका सामान पिछले चार साल से नई दिल्ली स्थित इंदिरा गाधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पड़ा हुआ है। उनके बेटे को छुड़वाने में अनिवासी भारतीय एसपी सिंह ओबराय ने जो भूमिका निभाई है वह सारी जिंदगी याद रहेगी।
जिला गुरदासपुर के गाव गोखूवाल निवासी बलराज सिंह तथा उसके परिवार में बेहद खुशी पाई जा रही है जिसके लिए सदैव ओबराय के धन्यवादी रहेंगे। जब अरविंदर सिंह की रिहाई की खबर उसके गाव पहुची तो परिवार को बधाई देने वालों का ताता लग गया और घर में आने वाले हर व्यक्ति का मुंह मीठा करवाया गया। रिश्तेदारों ने भंगड़ा डाल जश्न मनाया।
उसके दादा चन्नण सिंह तथा दादी जसमेल कौर की खुशी का ठिकाना नहीं था और पौत्र की रिहाई से वह दोनों फूले नहीं समा रहे थे। अरविंदर सिंह दुबई से नई दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा। वहा से उसने अन्य भारतीयों के साथ विमान से अमृतसर आना था, लेकिन फ्लाइट रद होने से नई दिल्ली से अमृतसर सड़क के माध्यम से अमृतसर पहुचे, जहा पर उन्होंने श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेका।
गांववासियों डा. मुख्तयार सिंह, परगट सिंह, रघुबीर सिंह, महेंद्र कौर, रणजीत कौर, गुरमीत कौर, मनजीत कौर व गुरिंदर सिंह भुल्लर अरविंदर की रिहाई से बेहद खुश हैं।


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एसपी सिंह ओबराय को सम्मानित करेगी पंजाबी प्रमोशन काउंसिल
Feb 13, 7 : 38 pm
नई दिल्ली, 13 फरवरी (वेबवार्ता)। पंजाबी के प्रचार-प्रसार में जुटी राष्ट्रीय राजधानी की सिरमौर संस्था ‘‘पंजाबी प्रमोशन काउंसिल’’ के अध्यक्ष जसवंत सिंह बोबी ने बुधवार को गुरूद्वारा शीश गंज साहिब में श्री गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष नतमस्तक होकर दुबई के प्रसिद्ध सिक्ख उद्योगपति एवं समाजसेवी एसपी. सिंह ओबराय की लंबी आयु के लिए एवं उन्हें गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए और अधिक बल देने की अरदास की। इस अवसर पर उनके साथ काउंसिल के चेयरमैन गुरमीत सिंह यमुनापार, रवि महेन्दरू, रमेश गेहरा, राजा इन्द्रप्रीत सिंह, प्रभदयाल सिंह व बलजीत सिंह भी मौजूद रहे।
जसवंत सिंह ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि श्री ओबराय द्वारा पाकिस्तानी नागरिक के कत्ल के आरोप में फाँसी की सजा का सामना कर रहे 17 पंजाबी भारतीयों के लिए लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ कर और करोड़ों रूपये की ब्लड मनी अदा करके सभी नौजवानों को यूएई की शारजाह जेल से रिहा करवा कर उन्हें भारत में पुर्न उनके परिवारों से मिलवाने के अथक प्रयासों के लिए पंजाबी प्रमोशन काउंसिल उनकी प्रशंसा करती है और जल्द ही काउंसिल द्वारा श्री ओबराय को सम्मानित करने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।
जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में समाज सेवा से जुड़ी अन्य संस्थाओं, सिक्ख नेताओं और गणमान्य लोगों को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जायेगा ताकि अधिक से अधिक लोग श्री ओबराय के विचारों से प्रेरणा लेकर गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद के लिए बढ़-चढ़ कर सहयोग करने के लिए आगे आ सकें। उन्होंने बताया कि श्री ओबराय द्वारा पंजाब में हजारों गरीब कन्याओं का विवाह करवाने के अलावा नौजवानों के लिए रोजगार एवं शिक्षा संबंधी भिन्न-भिन्न समय पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जा चुके है और विदेशों की जेलों में बंद सैंकड़ों बेकसूर भारतीयों की रिहाई के लिए आज भी कानूनी लड़ाई जारी है जो कि प्रशंसनीय है।

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Financial Express

17 convicted of murder in UAE to reach India today
Navjeevan Gopal : Amritsar, Feb 12 2013, 03:08 IST


Amritsar: Nearly three years after they were convicted and awarded death penalty on March 28, 2010 by a UAE court for the murder of Pakistani national Misri Khan in a bootlegging case, 17 Indians -— 16 from Punjab and one from Haryana — are set to return home on Tuesday.

“All the 17 Indians will board an Air India flight from Dubai to New Delhi late tonight,” Dubai-based hotelier S P Singh Oberoi, who played a pivotal role in their release, said on Monday.
Oberoi will accompany the 17 youths, who will land in New Delhi in wee hours on Tuesday. They will then head straight to Golden Temple in Amritsar, where they will meet their family members. “The family members of the youths are reaching Golden Temple and we hope to reach there in the afternoon,” Oberoi said.

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17 Indians in UAE murder case walk free
Prabhjot Singh/TNS
Chandigarh/Dubai, February 11
Families of all 17 Indian boys — 16 from Punjab and one from Haryana — heaved a sigh of relief today as their wards finally got the “deportation orders” from the United Arab Emirates (UAE) judiciary.

The infamous Mishri Khan murder case not only witnessed two long legal battles, but also two major settlements under the provision of Islamic law for blood money before these boys were finally cleared for the return journey home.
Besides a group of lawyers engaged by the Indian Consul-General in Dubai, a businessman of UAE — Surinderpal Singh Oberoi —worked religiously to secure their release in a case that not only witnessed huge payments to victims and their families, but also serious attempts to stall proceedings.
A violent clash, between two groups of expatriate workers in January 2009 that ended in the death of one Pakistani boy, Mishri Khan, while his cousins Mushtaq Ahmed and Shahid Iqbal were seriously injured, saw the Indian boys locked in a long-drawn legal battle.
In March 2010, a Sharjah Shariat court found them prima facie guilty of the murder of Mishri Khan and sentenced them to death. They were all also held guilty of bootlegging, violent clashes under the influence of liquor.
Their conviction generated a major public debate in India as leaders of various political parties, including the Congress and the Shiromani Akali Dal (SAD), tried to gain political mileage out of a case.




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