Feb. 2013

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DubaiTuesday, February 12, 2013

Seventeen bootleggers who were convicted of murder and sentenced to death in the UAE have returned home to their native India.

The men were found guilty of killing Pakistani national, Misri Khan, during a bootlegging turf war in Sharjah’s industrial area.
They were handed the death penalty but later pardoned by Khan’s family after a benefactor paid Dhs3.4 million in blood money on their behalf to have their sentences commuted for the 2009 crime.


bootleggers
The bootleggers with S P Singh Oberoi, centre.

Yesterday they arrived home. One of the freed men, Baljeet Singh, said: “I cannot wait to see my parents. The first thing I will do is bow down to them and apologise for ever leaving them.
“If it wasn’t to try and earn more money, I would never have come to the UAE. But now I will find work here and always stay close to my family.”
Dubai-based Indian hotelier S P Singh Oberoi helped secure their release. The philanthropist raised the blood money and also paid Dhs17,000 to remove the travel ban issued against the workers.
The convicts were finally deported on Monday, boarding an Air India flight to Delhi at 12.05am, with tickets sponsored by the Indian Consulate.
“We are on our way to the Golden Temple where the men’s families are waiting for them where we will all offer prayers and give thanks together,” said Oberoi, talking to 7DAYS on the phone while en route from Delhi to Amritsar.
The men had maintained they were not involved in Khan’s murder and had been framed. Khan died after being stabbed repeatedly.
megha@7days.ae

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घर में कदम रखते ही भर आई आंखे

Updated on: Wed, 13 Feb 2013 06:48 PM (IST)

महीपाल सिंह, कैथल : विदेश में कोई कुबेर का खजाना नहीं है, मेहनत वहां भी करनी पड़ती है और यहां भी। यहां युवा वर्ग मेहनत करने में शर्म महसूस करता है लेकिन विदेश जाकर यही काम करने में फख्र महसूस करते हैं। अब उनकी समझ में आ गया है देश की माटी से बढ़कर कुछ नहीं है। अब वह परिजनों के संग गांव में रहकर ही कार्य करेंगे। उक्त शब्द कैथल के गांव जगदीशपूरा निवासी तरणजीत सिंह ने कहे। शारजाह की जेल में चार साल तक सजा काट कर वतन लौटे तरणजीत बुधवार सुबह अपने गांव पहुंचा तो पूरा गांव तरणजीत को देखने के लिए उमड़ पड़ा। तरणजीत ने सबसे पहले गुरुद्वारे में माथा टेका और उसके बाद मंदिर में पूजा-अर्चना की। अपने घर पहुंचा तो बहन परमजीत कौर ने उसके माथे पर तिलक कर घर में प्रवेश किया। घर में कदम रखते ही तरणजीत की आंखों भर आई और बहन को गले लगाया। उन्होंने बताया कि आज उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। तरणजीत ने कहा कि वे सबसे पहले परमात्मा का सुक्रिया अदा करते हैं और उसके बाद इंडियन पंजाब सोसायटी के फाउंडर सदस्य एसपी सिंह ओबराय का आभार व्यक्त करते हूं जिनकी वजह आज वे जिंदा है। एसपी सिंह उनके लिए भगवान है जो उन्हें मौत के मुंह से निकालकर अपने वतन लाया है। तरणजीत सिंह ने बताया कि जब उन्हें फांसी की सजा अदालत द्वारा सुनाई गई कई रात तो नींद नहीं आई और रोटी गले से नहीं उतरी।
झूठा था मामला
तरणजीत सिंह ने बताया कि वर्ष 2005 में वह एक कंपनी के माध्यम से दुबई पैसा कमाने की चाह में गया था। दो वर्ष के बाद वे वापस अपने वतन लौटा आया और फिर वर्ष 2008 में दुबई चला गया और कंपनी से बाहर रहकर उसने काम करना शुरू कर दिया। कंपनी के माध्यम से काम करने में कम पैसा मिलता है जिससे अपना खर्च ही बढ़ी मुश्किल से चलता है। दुबई में कंपनी से बाहर रहकर काम करना अपराध माना जाता है। तरणजीत ने बताया शारजाह में नरसरीया पार्क में किराये का कमरा लेकर रहते था वहां 50 के करीब युवक रहते थे। वहां एक रात किसी का झगड़ा होने पर उन्हें पुलिस द्वारा शक के आधार पर उठा लिया और पाकिस्तानी नागरिक मिश्री खान की हत्या के मामले में उन पर झूठा केस मनाकर जेल में डाल दिया। बाद में उन्हें इस मामले में 16 पंजाब के युवकों सहित फांसी की सजा अदालत सुना दी गई। यहां तक मामले के गवाह लोगों ने भी उन्हें पहचाने से इन्कार किया था लेकिन पुलिस ने जबदस्ती यह झूठा आरोप लगाकर फसाया। इसके बाद एसपी सिंह ओबराय उनसे जेल में मिलने के पहुंचे जहां उन्हें जेल से रिहा कराने का आश्वासन दिया। बाद में मृतक मिश्रीखान के परिवार व दोस्तों से ब्लडमनी समझौता कर उन्हें रिहा कराया गया।
बेटे ने लिया दूसरा जन्म : सुखविन्द्र कौर
तरणजीत सिंह की मां सुखविन्द्र कौर ने कहा कि आज बेटे को अपने आंखों के सामने देखकर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। जेल से रिहा होकर उसके बेटे ने दूसरा जन्म लिया है। परमात्मा व वाहे गुरु की कृपा से यह संभव हो पाया है। बेटे की रिहाई को लेकर पूरा परिवार समाजसेवी एसपी सिंह ओबराय का सदा ऋणी रहेगा।

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हत्या के आरोप में फंसे 17 भारतीय होंगे रिहा

भास्कर न्यूज | Feb 12, 2013, 06:02AM IST



कैथल.दुबई में पाक नागरिक की हत्या के मामले में फंसे 17 पंजाबी युवकों को रिहा कर दिया गया है। सभी लोग मंगलवार को सचखंड श्री दरबार साहिब में माथा टेककर वाहेगुरु का शुकराना अदा करेंगे। इन्हें रिहा करवाने में अहम किरदार निभाने वाले एसपी सिंह ओबराय इन्हें चार्टेड विमान से लेकर पहले दिल्ली पहुंचेंगे और वहां से अमृतसर रवाना होंगे। पंजाब के विभिन्न इलाकों से संबंधित इन युवकों की साल 2009 में पाकिस्तानी नागरिक मिश्री खान से झड़प हो गई थी। इस दौरान खान की मौत हो गई। इस मामले में 17 युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया था। शारजाह की अदालत ने इन लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में मामले व्यवसायी एसपी सिंह ने मिश्री खान के परिवार वालों को ब्लड मनी लेने के लिए राजी किया था।
ये हुए रिहा: कैथल के तरणजीत समेत पंजाब के तरणतारन जिला से सुखजिंद्र, कश्मीर सिंह, बरनाला जिला से सुखजोत, अमृतसर से राम सिंह, गुरदासपुर से अरविंद्र, जालंधर से बलजीत, लुधियाना से दलजीत, नमजोत, सतनाम,  कुलविंद्र, फिरोजपुर से धर्मपाल, संगरूर से सतगुरु, कपूरथला से शुभन, सुखजिंद्र, मोगा से कुलदीप, फगवाड़ा जिला से हरजिंद्र शामिल हैं।

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NewsHunt


तरणजीत को लाने अमृतसर पहुंचा परिवार
13 Feb 2013 12:00,
Karnal | Last updated on: February 13, 2013 5:32 AM ISTकैथल। शारजाह की जेल में कई साल बिताने के बाद मंगलवार सुबह गांव जगदीशपुरा के तरणजीत सिंह सहित 16 अन्य भारतीयों ने नई दिल्ली में सरजमीं पर कदम रखा तो जैसे उन्हें जन्नत मिल गई। सुबह तरणजीत सहित 17 भारतीयों को लेकर एसपी सिंह ओबराय नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। जहां से सभी अमृतसर के लिए रवाना हो गए। देर शाम करीब साढ़े आठ बजे सभी अमृतसर पहुंचे। प्रेस से रूबरू होने के बाद सभी ने वाहे गुरु का शुक्रिया अदा करते हुए गुरुद्वारे में मत्था टेका। तरणजीत सिंह के भाई परमजीत ने अमर उजाला को बताया कि वे मंगलवार दोपहर को ही अमृतसर पहुंच गए थे। जहां दोपहर के बाद से ही तरणजीत एवं उसके साथियों का इंतजार करते रहे। देर शाम करीब साढ़े आठ बजे सभी अमृतसर पहुंचे। जहां सभी ने अपने परिजनों से मुलाकात की। तरणजीत को सामने देखकर उसका पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। परमजीत ने बताया कि पूरा परिवार तरणजीत से मिलकर खुश है। वे रात को ही गुरुद्वारे में वाहे गुरुजी को नमन करेंगे। इसके बाद कैथल के लिए रवाना होंगे। तरणजीत सिंह एवं उसके साथियों ने करीब छह
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17 भारतीय दुबई जेल से हुए रिहा, आज पहुंचेंगे भारत

Updated on: Tue, 12 Feb 2013 08:16 AM (IST)


संवाद सहयोगी, दिड़बा (संगरूर)
दुबई में एक पाकिस्तानी नौजवान के कत्ल के आरोप में जेल में बंद 17 भारतीयों को सोमवार को जेल से रिहा कर दिया गया। दुबई से दैनिक जागरण को जानकारी देते हुए भारतीय मूल के बिजनेसमैन एसपी सिंह ओबराय ने कहा कि इस वारदात के दौरान घायल होने वालों को 1 लाख दिरहम की राशि कोर्ट में भरी जाने के बाद सोमवार को 17 भारतीयों को रिहा कर दिया गया। 12 फरवरी को 17 नौजवान वापस भारत आएंगे।
गौर हो कि 17 भारतीयों को पाकिस्तानी नौजवान मिश्री खान के कत्ल के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई गई थी, परन्तु भारत सरकार के सहयोग व दुबई में रहने वाले भारतीयों की मदद से ब्लड मनी मृतक के परिवार को देकर फांसी की सजा माफ करवाई गई। इसके बाद इस वारदात में जख्मी होने वाले मुस्ताक अहमद व मोहम्मद रहमान ने अदालत में याचिका दायर की, जिस वजह से रिहाई में देरी हो गई। कोर्ट ने घायलों को 1 लाख दिरहम मुआवजे के तौर पर देने के हुक्म सुनाए थे। सोमवार को मुआवजे की यह रकम भरकर 17 भारतीयों को जेल से रिहा करवाया गया।

फगवाड़ा में एसपीएस ओबराय का हुआ स्वागत


संवाद सहयोगी, फगवाड़ा : दुबई में हुए पाकिस्तानी नागरिक मिश्री खान के कत्ल के आरोप में सजायाफ्ता 17 भारतीयों को सोमवार को रिहाई मिलने के बाद मंगलवार को सभी 17 भारतीय दिल्ली से अमृतसर में श्री दरबार साहिब में माथा टेकने जाते समय कुछ देर के लिए फगवाड़ा रुके। उनके साथ सरबत का भला ट्रस्ट के चेयरमैन और दुबई के होटलियर एसपीएस ओबराय भी साथ थे। फगवाड़ा के रेस्ट हाउस के पास रोटरी क्लब साउथ ईस्ट फगवाड़ा के पूर्व प्रधान डाक्टर एसपीएस सूच एवं फगवाड़ा के प्रसिद्ध उद्योगपति एसपी सेठी के नेतृत्व में उनका स्वागत किया गया। सूच एवं सेठी ने होटलियर एसपी सिंह ओबराय का आभार प्रकट किया। ओबराय ने बताया कि उन्हे खुशी है कि उनकी मेहनत रग लाई है और इन सभी 17 भारतीयों को रिहाई मिल गई है। उन्होंने कहा कि अमृतसर में श्री दरबार साहिब में वाहेगुरु का शुक्राना करने के बाद सभी 17 भारतीय अपने अपने परिवारों में पहुंच जाएंगे। इस अवसर पर केके खुल्लर, मनोज मिड्डा, डा. छाबड़ा, डा. पवन गुप्ता, केएल जैन एवं अमरजीत सिंह रियात भी उपस्थित थे।


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ਐਸ. ਪੀ. ਓਬਰਾਏ ਦਾ ਦਰਜਨਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸਨਮਾਨ

ਭੁੱਨਰਹੇੜੀ, 15 ਫਰਵਰੀ (ਧਨਵੰਤ ਸਿੰਘ)-ਸੰਯੁਕਤ ਅਰਬ ਅਮੀਰਾਤ (ਯੂ.ਏ.ਈ.) ਦੀ ਸ਼ਾਰਜਾਹ ਦੀ ਜੇਲ੍ਹ ਤੋਂ 17 ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰਵਾ ਕੇ ਲਿਆਉਣ ਵਾਲੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸਮਾਜ ਸੇਵੀ, ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭਲਾ ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨ ਸੁਰਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਓਬਰਾਏ ਨੂੰ ਕਸਬਾ ਭੁਨਰਹੇੜੀ ਵਿਖੇ ਦਰਜਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ | ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਨਮਾਨ ਚਿੰਨ੍ਹ ਸਿਰੋਪਾਉ, ਸ੍ਰੀ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਲੋਈ ਸਨਮਾਨ ਵਜੋਂ ਭੇਟ ਕੀਤੀ ਇਸ ਮੌਕੇ ਗੋਪਾਲ ਹਸਪਤਾਲ ਤੋਂ ਡਾ. ਗੋਪਾਲ ਸਿੰਘ, ਆੜ੍ਹਤੀਆ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਤੋਂ ਜਸਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਰਾਣਾ, ਭਾਈ ਘਨੱਈਆ ਵੈੱਲਫੇਅਰ ਸੁਸਾਇਟੀ ਤੋਂ ਜਥੇਦਾਰ ਬੂਟਾ ਸ਼ਾਦੀਪੁਰ, ਇੰਟਰਨੈਸ਼ਨਲ ਲੋਕ ਸੇਵਾ ਸੰਸਥਾ ਤੋਂ ਜਸਵੰਤ ਸਿੰਘ ਅਕੌਤ, ਚੇਅਰਮੈਨ ਗੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਉਪਲੀ, ਸੇਂਟ ਸੋਲਜਰ ਪਬਲਿਕ ਸਕੂਲ ਤੋਂ ਕਾਮਰੇਡ ਗੁਰਮੀਤ ਸਿੰਘ, ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਕਲੱਬ ਤੋਂ ਗੁਰਮੀਤ ਸਿੰਘ ਬਿੱਟੂ, ਗ੍ਰਾਮ ਪੰਚਾਇਤ ਤੇਜਾ ਤੋਂ ਸ਼ਾਮ ਲਾਲ ਸਰਪੰਚ, ਗ੍ਰਾਮ ਪੰਚਾਇਤ ਭੁੱਨਰਹੇੜੀ ਤੋਂ ਮਹਿੰਗਾ ਰਾਮ ਸਰਪੰਚ, ਗੁਰਸ਼ਰਨ ਸਿੰਘ ਸੰਧੂ, ਨਨਾਨਸੂਹ ਗ੍ਰਾਮ ਪੰਚਾਇਤ ਤੋਂ ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸਾਬਕਾ ਚੇਅਰਮੈਨ, ਗ੍ਰਾਮ ਪੰਚਾਇਤ ਥੇੜ੍ਹੀ ਤੋਂ ਸਰਪੰਚ ਜਗਦੀਸ਼ ਸਿੰਘ ਪੂਨੀਆ ਅਤੇ ਗੁਰਮੇਜ ਸਿੰਘ ਆੜ੍ਹਤੀ, ਪਿ੍ਥੀਪਾਲ ਸਿੰਘ ਧਾਂਦੀਆ, ਜੱਸਾ ਸਿੰਘ ਸੰਧੂ ਸਾਬਕਾ ਇੰਸ:, ਭੀਮ ਪੂੰਨੀਆ, ਜਥੇਦਾਰ ਗੁਲਜ਼ਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਕਲ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ, ਸਤਨਾਮ ਸਿੰਘ ਭੁੱਨਰਹੇੜੀ, ਸ਼ੀਸ਼ਪਾਲ, ਮਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਿਜ਼ਾਮਪੁਰ, ਜੋਗਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਜਿੰਦੂ ਵਕੀਲ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪਤਵੰਤੇ ਹਾਜ਼ਰ ਸਨ |
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Punjab
clip
SPS Oberoi along with 17 released Indian boys paying obeisance at the Golden Temple. DP Photo: Avneet Byala

17 Indians return from UAE



By Daily Post
  • India,

  • 2/13/2013 11:25:12 AM

Naveen Kalia
Amritsar 
Some were embracing their sons, some were meeting their brothers and some were emotional while meeting their husbands, such was the picture at the Golden Temple when families of the 17 Indian men met their loved ones on Tuesday evening. 
These 17 Indian boys were released by the United Arab Emirates (UAE) court in the murder case of Pakistani national Misri Khan, who was killed in 2009. They were released by court through the blood money settlement of US $1 million.
All these men arrived in India in the wee hours of Tuesday at New Delhi and paid obeisance at the Golden Temple on Tuesday evening. Talking to Daily Post, one of released prisoner Kuldeep Singh said that it was a great and unforgettable day for all of them. He added that they all hail from poor families and after collecting money through various sources, their families had sent them to Dubai. 
Kuldeep stated that they had thought that they would meet bright future in the foreign country as they were lured by immigration agents in India but things were not compatible for them in Dubai. “I was assured by an agent that I would get a job in a good company but there was no such work and for survival, I used to work at various places at meagre income,” said Kuldeep.
He further said that they all were living in one room where around 60 persons mostly from India, Pakistan and Sri Lanka were living. Kuldeep added that they had only got support from Dubai-based hotelier SPS Oberoi and Sarbat Da Bhala organisation chief, who fought for their release.
He asserted that during the initial days of their arrest, former union minister Balwant Singh Ramoowalia came to meet them once or twice. The only person who stood by them through the whole time was Oberoi.
Another released Indian boy Sukhjinder Singh said that one day cops came to their room and arrested them. “We all were unaware and shocked as we had no idea why we were being arrested. It was only after four months that we came know that we were arrested under murder charge,” added Sukhjinder. He stated that after getting the news of arrest of all persons, noble person like Oberoi, and Sukhdev Singh Dhindsa approached them and they narrated their whole story to them.
Kulwinder Singh, who is among the released Indian men, informed that when Oberoi came to know about their situation, they decided to fight for them and it’s because of their efforts today that they are free. He added that they have received financial and legal aid from Oberoi and the Union government.
All released men said that they would never go abroad again and would spend the rest of their life with their families. They added that the behaviour of jail authorities in the UAE was helpful and provided them with all facilities in the jail. On this occasion, Oberoi said that he was delighted that their efforts didn’t go in vain. He added that when he came to know about the arrest of these men, it was really shocking for him. “Later on when I met all of them in jail I decided to commence this case with the help of the Indian government,” said Oberoi. 
He asserted that this case got completed in 17 hearings in the court and received full support from former chief minister Captain Amarinder Singh, his wife and Union Minister Perneet Kaur. “During compromise with the Misri Khan family, Captain Amarinder Singh played a vital role and through Perneet Kaur they received full assistance from the Indian Consulate in the UAE,” added Oberoi. He also said that they have received moral support from the Punjab government in this case.
Apart from giving money to Misri Khan family, they have also given money to the injured persons.
Oberoi added that like these men he had also fought for over 50 Indian men who were imprisoned under different charges. He further said that they would establish a multi-purpose institute in Patiala soon where youth would do various professional courses.

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ਜਲੰਧਰ :                                    

ਕਪੂਰਥਲਾ / ਫਗਵਾੜਾ


ਦੁਬਈ ਤੋਂ ਆ ਰਹੇ ਹਰਜਿੰਦਰ ਨੂੰ ਲੈਣ ਅੰਮਿ੍ਤਸਰ ਪਹੁੰਚਿਆ ਪਰਿਵਾਰ

ਫਗਵਾੜਾ, 12 ਫਰਵਰੀ (ਹਰੀਪਾਲ ਸਿੰਘ)-ਦੁਬਈ ਵਿਚ ਮਿਸ਼ਰੀ ਕੱਤਲ ਕਾਂਡ ਵਿਚ ਫਸੇ 17 ਪੰਜਾਬੀ ਨੌਜਵਾਨ ਜੋ ਕੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਟਲ ਮਾਲਕ ਐਸ. ਪੀ. ਸਿੰਘ ਓਬਰਾਏ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਵਾਪਸ ਵਤਨ ਆ ਰਹੇ ਹਨ, 'ਚ ਫਗਵਾੜਾ ਦੇ ਸ਼ਿਵਪੁਰੀ ਇਲਾਕੇ ਦਾ ਇਕ ਨੌਜਵਾਨ ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ | ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਲਈ ਇਹ 8 ਸਾਲ ਦਾ ਵਿਛੋੜਾ ਤਾਂ ਅਸਹਿ ਸੀ, ਜਿਸਨੂੰ ਬਜ਼ੁਰਗ ਮਾਂ ਨੇ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਦਾ ਭਾਣਾ ਮੰਨ ਲਿਆ,ਪਰ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਜਦੋਂ ਤੋਂ ਓਬਰਾਏ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਉਸਦੇ ਛੁੱਟਣ ਦਾ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਕ ਦਿਨ ਦਾ ਵਿਛੋੜੇ ਦਾ ਸਮਾਂ ਬਹੁਤ ਲੰਬਾ ਲੱਗਣ ਲੱਗਾ | ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਜੋ ਕੇ ਅੱਜ ਰਾਤ ਨੂੰ ਅੰਮਿ੍ਸਤਰ ਦੇ ਰਾਜਾਸਾਂਸੀ ਹਵਾਈ ਅੱਡੇ 'ਤੇ ਪਹੁੰਚ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਲਾਡਲੇ ਦੀ ਇਕ ਝਲਕ ਵਾਸਤੇ ਸਾਰਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹਵਾਈ ਅੱਡੇ 'ਤੇ ਪਹੁੰਚਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ | ਹਰੇਕ ਉਡਾਣ ਵਿਚ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਲੜਕਾ ਹੀ ਆਉਂਦਾ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ | ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਿਹਾਈ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਬਜ਼ੁਰਗ ਮਾਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਕੌਰ ਅਤੇ ਭਾਬੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ ਕੌਰ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਦਾ ਠਿਕਾਣਾ ਨਾ ਰਿਹਾ | ਉਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਕਹਿੰਦਾ ਹੈ ਕੇ ਓਬਰਾਏ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲਈ ਕਿਸੇ ਫ਼ਰਿਸ਼ਤੇ ਤੋਂ ਘੱਟ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਕੋਈ ਵੀ ਆਪਣਿਆਂ ਦੇ ਲਈ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਬੇਗਾਨਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਬਣਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਮਾਸੜ ਸਤਨਾਮ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕੇ ਹਰਜਿੰਦਰ ਅੱਜ ਰਾਤ ਅੰਮਿ੍ਤਸਰ ਪਹੁੰਚੇਗਾ ਅਤੇ ਸਾਰਾ ਪਰਿਵਾਰ ਉਸਨੂੰ ਲੈਣ ਦੇ ਲਈ ਪਹੁੰਚਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ | ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮਾਤਾ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਕੇ ਉਹ ਉਸਨੂੰ ਹੁਣ ਕਦੇ ਵਿਦੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਭੇਜੇਗੀ ਅਤੇ ਇੱਥੇ ਹੀ ਉਸਦਾ ਵਿਆਹ ਕਰੇਗੀ |
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‘ब्लड मनी’ के 8 साल बाद परिवार से मिलेगा हरजिंदर

Posted On February - 12 - 2013




बेटे के आने की सूचना मिलने पर ईश्वर का शुक्रिया अदा करती हरजिंदर सिंह की माता सुरिंदर कौर।
फगवाड़ा, 12 फरवरी (निस)। दुबई में मिसरी हत्याकांड में फंसे 17 युवकों, जो प्रसिद्ध होटलीयर एसपी ओबराए के गंभीर प्रयासों से वापस वतन आ रहे हैं, में फगवाड़ा के शिव पुरी इलाके का एक युवक हरजिंदर सिंह भी शामिल है। परिवार के लिए यह 8 साल का बिछोड़ा असहनीय था। आज सारा परिवार अपने लाल की एक झलक देखने के लिए अमृतसर पहुंचा।
पहले तो परिवार को विश्वास नहीं था कि इस बार उसके आने की बात सच हो जाएगी। क्योंकि पहले मिसरी खान के कत्ल केस में एसपी ओबराए द्वारा ‘ब्लड मनी’ दिये जाने से मामले से छूट गया, घर में भी उसके आने की खबर आ गई। पर एक घायल व्यक्ति द्वारा पुन: मामला दायर करने पर उनकी रिहाई फिर अटक गई थी। इस बार उनकी अरदास रंग लायी। सोमवार देर शाम जब उसकी मां सुरिंदर कौर व भाभी हरप्रीत कौर ने जब टीवी पर हरिजंदर को रिहा होते देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। उनका कहना है कि एसपी ओबराए एक फरिश्ते से कम नहीं हैं। उनकी 8 फरवरी को हरजिंदर से बात भी हो गई थी,पर दिल में एक खौफ-सा बना था।
हरिंजदर के मौसा सतनाम सिंह ने बताया कि उसको भी हरिजंदर का फोन आया था। उसने बताया कि हरिजंदर सिंह सीधे अमृतसर आएगा। उसकी माता सुरिंदर कौर ने कहा कि अब वह कभी उसको विदेश नहीं भेजेगी। अब तो उसकी शादी के लिये अच्छी सी बहु ढूंढेगी।


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The Indian Express


I am God’s accountant, says man who saved 17 men from gallows


Navjeevan Gopal : Amritsar, Fri Feb 15 2013, 02:35 hrs

Dubai-based businessman and hotelier S P Singh Oberoi, who was instrumental in recently securing the release of 17 men convicted by a Sharjah court for the murder of a Pakistani national in UAE, is not new to paying blood money to save people from gallows.
In the last few years, while Oberoi had saved the lives of 37 people from Pakistan, Bangladesh, Philippines and India, he is now fighting for the release of four Nepali nationals. Till date, he claims to have saved 54 lives.
"Though I am a Punjabi by birth, I have never discriminated when it comes to saving lives. Among those I saved from going to the gallows are Pakistanis," Oberoi, who was born in Nangal (then in Himachal Pradesh) on April 13, 1956, said. "There were two Pakistani nationals I saved from death last year in a murder case. They, along with eight Punjabis, had no means to pay the blood money," he added.
A diploma holder in mechanical engineering, Oberoi worked at the Pandoh Dam in 1976 at a monthly salary of Rs 392. "My father was upset with me for not pursuing higher studies. But I was adamant. I decided to leave home with Rs 250 in my pocket and my father gave me another Rs 1,000," Oberoi said, adding that he worked at Pandoh Dam for about a year before shifting to Salal Dam in Rajouri for the next six months.
Following this, he went to Dubai and worked as a mechanic for three years. He returned to India only to go back to Dubai again in 1993, where he started a business of spare parts and hydraulic equipment. In 1996, he ventured into construction and diversified into hotel business in 1998. In 2004, he entered the real estate business.
"I consider myself an accountant of God and issue cheques as per God's will to secure the release of people," Oberoi said, adding that he never suffered any financial loss. "Within days, God gave me 10 times more than I spent," he said.
"I feel that my initial salary of Rs 392 was my own. The rest belongs to God," Oberoi said, adding that his family had never objected to him paying blood money for getting people released.
Now, sarpanchs of the villages of the 17 men who returned to India on February 12, after Oberoi paid blood money for their release, want to honour him. "Sometimes I cry because they are so thankful to me. They want to honour me and I will join them," said Oberoi.
"I have no grudges that the government does not recognise my efforts. What matters to me is how the families reacted when these youth reached home safe," he added.
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The Express Tribune

Indians convicted of murdering Pakistani in UAE return home

Published: February 13, 2013
Released Indian prisoners pose with Dubai-based hotelier, SP Singh Oberoi (C), who helped secure their release, pose for a photo at the Sikh Shrine Golden temple in Amritsar. PHOTO: AFP
NEW DELHI: Seventeen Indians sentenced to death for murdering a Pakistani in the United Arab Emirates on Tuesday to paid obeisance at Harmandir Sahib, after securing their release by paying blood money.
The Indian men, from Punjab (16) and Haryana (one) were on death row in the Emirates for killing an alleged Pakistani bootlegger Misri Khan in Sharjah in 2009. They finally returned to their homeland on Tuesday after benefactors managed to pay the $25 million diyat (blood money) to secure their release.
The men had gone to Dubai in search of better fortunes. There they chanced upon the lucrative illicit-liquor trade that feeds the Gulf country where sale and consumption of alcohol without license is a criminal offence.
The men had been convicted of murdering Pakistani Misri Khan, an alleged bootlegger. The men were in a business meeting in 2009 in the Al Sajaa area of Sharjah between the alleged Pakistani liquor-dealer, his two friends and the Indians. The meeting descended into a dispute and  turned violent during which Khan was fatally stabbed  multiple times.
However, Dubai-based hotelier SP Singh Oberoi led a campaign to save the men, raising funds to pay the blood money.
“These boys are very happy to be freed at last and to reach back home. We are heading to Amritsar to offer prayers at Harmandir Sahib.”

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ਓਬਰਾਏ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਿਆਂ ਨਹੀਂ ਥਕਦੇ ਸਬੰਧਤ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ

ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ – ਦੁਬਈ ‘ਚ ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਨਾਗਰੀਕ ਮਿਸ਼ਰੀ ਖਾਨ ਦੇ ਕੱਤਲ ਕੇਸ ‘ਚ ਫਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜਾ ਯਾਫਤਾ 17 ਭਾਰਤੀ ਨੌਜਵਾਨ ਅੱਜ ਉਘੇ ਵਪਾਰੀ ਸ੍ਰ. ਸੁਰਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਓਬਰਾਏ ਦੇ ਉਧਮਾਂ ਨਾਲ ਰਿਹਾਅ ਹੋਣ ਉਪਰੰਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ‘ਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਦਿੱਲੀ ਤੋਂ ਸੜਕ ਮਾਰਗ ਰਾਹੀ ਸਚਖੰਡ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਪਹੁੰਚਣ ਉਪਰੰਤ ਨਵੇਂ ਮਿੱਲੇ ਜਿਵਨਦਾਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਸ਼ੁਕਰਾਣਾ ਕੀਤਾ। ਜਿਕਰਯੋਗ ਹੈ ਕਿ ਦੁਬਈ ‘ਚ ਪ੍ਰਵਾਸੀ ਕਾਮਿਆਂ ਦੀ ਹੋਈ ਲੜਾਈ ‘ਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਭਾਰਤੀ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਵੱਲੋਂ ਮਿਸ਼ਰੀ ਖਾਨ ਮਾਰਿਆਂ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਦੋ ਹੋਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਨਾਗਰੀਕ ਜਖਮੀ ਹੋ ਗਏ ਸਨ। ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਰਜਾਹ ਦੀ ਅਦਾਲਤ ਵੱਲੋਂ ਫਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜਾ ਸੁਣਾਈ ਗਈ ਸੀ ਅਤੇ ਕੋਈ ਵੀ ਭਾਰਤੀ ਜਾਂ ਪੰਜਾਬੀ ਲੀਡਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਾਰ ਲੈਣ ਵਾਲਾ ਸਾਹਮਣੇ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਸੀ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਇਨ੍ਹਾਂ 17 ਭਾਰਤੀਆਂ ਵਾਸਤੇ ਉਘੇ ਵਪਾਰੀ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਸੇਵੀ ਸ੍ਰ. ਐਸ ਪੀ ਸਿੰਘ ਓੁਬਰਾਏ ਅੱਗੇ ਆਏ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਸਫਾਰਤਖਾਨੇ ਦੀ ਮਦਦ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਬਲਬੂਤੇ ਤੇ ਵਕੀਲਾਂ ਦਾ ਪੈਨਲ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਟਿਸ਼ਨ ਫਾਇਲ ਕੀਤੀ। ਜਿਸ ‘ਚ ਅਦਾਲਤ ਵੱਲੋਂ ਮਿਸ਼ਰੀ ਖਾਨ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਆਉਟ ਆਫ ਕੋਰਟ ਸੈਟਲਮੈਂਟ ਲਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ। ਇਸ ਲਈ ਸ੍ਰ. ਓਬਰਾਏ ਵੱਲੋਂ ਬਲੱਡ ਮੰਨੀ ਦੇ ਰੂਪ ‘ਚ 10 ਲੱਖ ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਤੋਂ ਵੱਧ ਦੀ ਰਾਸ਼ੀ ਸ਼ਾਰਜਾਹ ਅਦਾਲਤ ‘ਚ ਜਮ੍ਹਾਂ ਕਰਵਾਈ ਗਈ। ਜਿਸ ਉਪਰੰਤ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਇਨ੍ਹਾਂ ਭਾਰਤੀ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੀ ਫਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜਾ ਅਦਾਲਤ ਨੇ ਮਾਫ ਕਰ ਦਿੱਤੀ। ਮਗਰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੋ ਹੋਰ ਜਖਮੀ ਹੋਏ ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਨਾਗਰੀਕਾਂ ਨੇ ਮੁਆਵਜੇ ਲਈ ਅਦਾਲਤ ‘ਚ ਨਵਾਂ ਕੇਸ ਪਾ ਦਿੱਤਾ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਨਾਂ ਦੀ ਰਿਹਾਈ ਲਟੱਕ ਗਈ ਮਗਰ ਸ੍ਰ. ਉਬਰਾਏ ਵੱਲੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਲੱਖ ਡਾਲਰ ਦਾ ਮੁਆਵਜਾ ਦੇ ਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੀ ਰਿਹਾਈ ਪੱਕੀ ਕਰਵਾਈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਜੋ ਕਿ ਸਵੇਰ ਤੋਂ ਹੀ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ‘ਚ ਆਪਣੇ ਸਾਕ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨਾਲ ਸ੍ਰੀ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸੂਚਨਾਂ ਕੇਂਦਰ ਵਿਖੇ ਮੋਜੂਦ ਸਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਉਪਰੰਤ ਮੋਕੇ ਤੇ ਮਾਹੋਲ ਕਾਫੀ ਭਾਵੁਕ ਹੋ ਗਿਆ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਸੁਚਨਾਂ ਕੇਂਦਰ ਵਿਖੇ ਅਖੰਡ ਕੀਰਤਨੀ ਜਥੇ ਦੇ ਮੁੱਖੀ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਕਮੇਟੀ ਦੀ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਹਿਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੇਵਾਦਾਰ ਜਥੇਦਾਰ ਬਲਦੇਵ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸ੍ਰ. ਓਬਰਾਏ ਨੂੰ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਪੱਤਰਕਾਰਾਂ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕਰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦੇ ਮਾਲਕ ਸਾਹਿਬ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਬੰਦੀ ਛੋੜ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਦੀ ਬਖਸ਼ਿਸ਼ ਨਾਲ ਹੀ ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭਲਾ ਟਰੱਸਟ ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨ ਭਾਈ ਸੁਰਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਓੁਬਰਾਏ ਵੱਲੋਂ 17 ਭਾਰਤੀਆਂ ਫਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜਾ ਮਾਫ ਕਰਵਾ ਕੇ ਰਿਹਾਅ ਕਰਵਾਇਆਂ ਗਿਆ ਹੈ ਜੋ ਅਜੋਕੇ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿਚ ਵੱਡੀ ਮਿਸਾਲ ਹੈ ਅਤੇ ਅਖੰਡ ਕੀਰਤਨੀ ਜਥਾ ਇਸ ਕੀਤੇ ਕਾਰਜ ਦੀ ਸ਼ਲਾਘਾ ਕਰਦਾ ਹੋਇਆ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰਾ ਨੂੰ ਵਧਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਸ੍ਰ. ਓੁਬਰਾਏ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ ਬਖਸ਼ੀਸ਼ ਕਰਕੇ ਇਹ ਕਾਰਜ ਕਰਵਾਇਆ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਨਾਲ ਮੇਰੀ ਆਤਮਾ ਨੂੰ ਤੁਰ ਅੰਦਰ ਤੱਕ ਵੱਡੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਮਿੱਲੀ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚਾ ਕੇ ਮੈਂ ਬੜੀ ਵੱਡੀ ਖੁਸ਼ੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ ਅਤੇ ਇਹ ਸੇਵਾ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਭਾਣੇ ‘ਚ ਲਈ ਹੈ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਰਿਾਹ ਹੋ ਕੇ ਆਏ ਨੌਜਵਾਨ ਸੁਖਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਜੋਤ ਸਿੰਘ, ਸਤਿਗੁਰੂ ਸਿੰਘ, ਸਤਨਾਮ ਸਿੰਘ, ਕਸ਼ਮੀਰ ਸਿੰਘ, ਸੁਭਾਨ ਸਿੰਘ, ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਕੁਲਦੀਪ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਨਮਜੋਤ ਸਿੰਘ, ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਤਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ, ਬਲਜੀਤ ਸਿੰਘ, ਦਲਜੀਤ ਸਿੰਘ, ਧਰਮਪਾਲ ਸਿੰਘ ਅਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸਾਂਝੇ ਬਿਆਨ ‘ਚ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਸੀ ਤਾਂ ਆਪਣੀ ਜਿੰਦਗੀ ਦੇ ਆਖਰੀ ਦਿਨ ਦੁਬਾਈ ਦੀ ਜੇਲ ‘ਚ ਕੱਟ ਰਹੇ ਸਾਂ ਕੋਈ ਸਾਡੀ ਮਦਦ ਲਈ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਮਗਰ ਅੱਜ ਜੇ ਅਸੀ ਜਿਓਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਿਰਫ ਤੇ ਸਿਰਫ ਸ੍ਰ. ਓਬਰਾਏ ਕਾਰਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਡੀ ਪੈਰਵਾਈ ਕਿਤੀ ਅਤੇ ਅੱਜ ਅਸੀ ਨਵੀਂ ਜਿੰਦਗੀ ਭੋਗ ਰਹੇ ਹਾਂ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ‘ਚ ਹਾਂ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਅਤੇ ਨਾਲ ਆਏ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ‘ਚ ਸਾਕ ਸੰਬੰਧੀ ਓਬਰਾਏ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਿਆਂ ਨਹੀਂ ਸਨ ਥਕਦੇ ਅਤੇ ਕਹਿ ਰਹੇ ਸਨ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਉਜੜਨ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ ਹੈ।

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